गुरुवार, 16 दिसंबर 2010

वास्तुशास्त्र संबंधी सामान्य नियम

वास्तुशास्त्र संबंधी सामान्य नियम

आजकल वास्तुशास्त्र का बोलबाला है। एक सामान्य से घर को वास्तु के इतने जटिल नियमों में बाँध दिया जाता है कि जिन्हें पढ़कर मनुष्य न केवल भ्रमित हो जाता है वरन जिनके घर पूर्णत: वास्तु अनुसार नहीं होते, वे शंकाओं के घेरे में आ जाते हैं। ऐसे मनुष्य या तो अपना घर बदलना चाहते हैं या शंकित मन से घर में निवास करते हैं।वास्तु विज्ञान का स्पष्ट अर्थ है चारों दिशाओं से मिलने वाली ऊर्जा तरंगों का संतुलन...। यदि ये तरंगें संतुलित रूप से आपको प्राप्त हो रही हैं, तो घर में स्वास्थ्य व शांति बनी रहेगी। अत: ढेरों वर्जनाओं में बँधने के बजाय दिशाओं को संतुलित करें तो लाभ मिल सकता है। निम्न निर्देशों का ध्यान रखें-

किचन दक्षिण-पूर्व में, मास्टर बैडरूम दक्षिण-पश्चिम में, बच्चों का बैडरूम उत्तर-पश्चिम में और शौचालय आदि दक्षिण में हों।

पानी की निकासी उत्तर में हो, ईशान (उत्तर-पूर्व) खुला हो, दक्षिण-पश्चिम दिशा में भारी सामान हो।

मुख्य दरवाजा अन्य दरवाजों से बड़ा और भारी हो।

खिड़कियाँ व दरवाजे सम संख्या में हों व पूर्व या उत्तर में खुलें।

तीन दरवाजे एक सीध में न हों, दरवाजे बंद करते या खोलते समय आवाज न हो।

पूजा के लिए ईशान कोण हो या भगवान का मुख ईशान में हो।

उत्तर या पूर्व में तुलसी का पौधा लगाएँ।

पूर्वजों के फोटो पूजाघर में न रखें, दक्षिण की दीवार पर लगाएँ।

शाम को घर में सांध्यदीप जलाएँ। आरती करें।

इष्टदेव का ध्यान और पूजन अवश्य करें।

भोजन के बाद जूठी थाली लेकर अधिक देर तक न बैठें। न ही जूठे बर्तन देर तक सिंक में रखें

अपनी आय का एक हिस्सा इष्टदेव के नाम पर अलग रखें। घर में हमेशा समृद्धि बनी रहेगी।

सुबह उठकर पूर्व दिशा की सारी खिडकियां खोल दें। उगते सूरज की किरणें सेहत के लिए बहुत लाभदायक होती हैं। इससे पूरे घर के बैक्टीरिया एवं विषाणु नष्ट हो जाते हैं।

दोपहर बाद सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से निकलने वाली ऊर्जा तरंगें सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह होती हैं। इनसे बचने के लिए सुबह ग्यारह बजे के बाद घर की दक्षिण दिशा स्थित खिडकियों और दरवाजों पर भारी पर्दे डाल कर रखें। क्योंकि ये किरणें त्वचा एवं कोशिकाओं को क्षति पहुंचाती हैं।

रात को सोते समय ध्यान दें कि आपका सिर कभी भी उत्तर एवं पैर दक्षिण दिशा में न हो अन्यथा सिरदर्द और अनिद्रा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

गर्भवती स्त्रियों को दक्षिण-पश्चिम दिशा स्थित कमरे का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसी अवस्था में पूर्वोत्तर दिशा या ईशान कोण में बेडरूम नहीं रखना चाहिए। इसके कारण गर्भाशय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

नवजात शिशुओं के लिए घर के पूर्व एवं पूर्वोत्तर के कमरे सर्वश्रेष्ठ होते हैं। सोते समय बच्चे का सिर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों को दक्षिण-पूर्व में बेडरूम नहीं बनाना चाहिए। यह दिशा अग्नि से प्रभावित होती है और यहां रहने से ब्लडप्रेशर बढ जाता है।

बेडरूम हमेशा खुला और हवादार होना चाहिए। ऐसा न होने पर व्यक्ति को मानसिक तनाव एवं नर्वस सिस्टम से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।

वास्तुशास्त्र की दृष्टि से दीवारों पर सीलन होना नकारात्मक स्थिति मानी जाती है। ऐसे स्थान पर लंबे समय तक रहने से श्वास एवं त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

परिवार के बुजुर्ग सदस्यों को हमेशा नैऋत्य कोण अर्थात दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित कमरे में रहना चाहिए। यहां रहने से उनका तन-मन स्वस्थ रहता है।

किचन में अपने कुकिंग रेंज अथवा गैस स्टोव को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि खाना बनाते वक्त आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। यदि खाना बनाते समय गृहिणी का मुख उत्तर दिशा में हो तो वह सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस एवं थायरॉइड से प्रभावित हो सकती है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन बनाने से बचें। गृहिणी के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पडता है। इसी तरह पश्चिम दिशा में मुख करके खाना बनाने से आंख, नाक, कान एवं गले से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।

यह ध्यान रखें कि रात को सोते हुए बेड के बिलकुल पास मोबाइल, स्टेवलाइजर, कंप्यूटर या टीवी आदि न हो। अन्यथा इनसे निकलने वाली विद्युत-चुंबकीय तरंगें मस्तिष्क, रक्त एवं हृदय संबंधी रोगों का कारण बन सकती हैं।

बेडरूम में पुरानी और बेकार वस्तुओं का संग्रह न करें। इससे वातावरण में नकारात्मकता आती है। साथ ही, ऐसे चीजों से टायफॉयड और मलेरिया जैसी बीमारियों के वायरस भी जन्म लेते हैं।

आंखों की दृष्टि मजबूत बनाने के लिए सुबह जल्दी उठकर, किसी खुले पार्क या हरे-भरे बाग बगीचे में टहलें। वहां मिलने वाला शुद्ध ऑक्सीजन शरीर की सभी ज्ञानेंद्रियों को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होता है।

कोशिश होनी चाहिए कि भोजन करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रहे। इससे सेहत अच्छी बनी रहती है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।

टीवी देखते हुए खाने की आदत ठीक नहीं है। ऐसा करने पर मन-मस्तिष्क भोजन पर केंद्रित न होकर माहौल के साथ भटकने लगता है। इससे शरीर को संतुलित मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता। साथ ही टीवी से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है।

घर का मुख्य द्वार किस दिशा में हो, यह भी चिंता का विषय रहता है। अधिकतर दक्षिण व पश्चिम द्वार को शुभ नहीं माना जाता मगर यह तय करने के लिए जन्म पत्रिका का अध्ययन जरूरी है। कुछ राशियों के लोगों के लिए ये द्वार बेहद शुभ फल देते हैं विशेषकर जिन लोगों की कुंडली में शनि-मंगल शुभ कारक ग्रह होते हैं। अत: हर दृ‍ष्टि से विचार करके वास्तु संबंधी बातें तय की जाएँ तो घर में सर्वत्र सुख-शांति का वास रह सकता है।

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