कहा जाता है कि संसार में पहले जल ही जल था परमात्मा ने जब मानसी सष्टि की तो जल में कई प्रकार के आकार पैदा हुए हो सकता है कि इस मानसी सष्टि के साथ ही थोड़ी-बहुत भौतिक सष्टि भी की जिसके फलस्वरूप बहुत-सी वस्तुएँ अपने अनेक रुपों में पैदा हुई
वास्तव में हमारे देश में " वस्तु " शब्द किसी भी चीज के लिए प्रयोग में आ सकता है जो अपने आप में अकेली हो किन्तु जब हम कुछ चीजों को मिलाकर उसका एक विशेष रुप बना देते हैं तो उसे " वास्तु " कहा जाता है
वास्तव में वास्तु शब्द वस्तु से ही पैदा हुआ है कहा जाता है कि वस्तु को वास्तु में बदलने के लिए वास्तुकारों की जरूरत पड़ी वास्तव में कोई भी निर्मित चीज वास्तु है यानी किन्ही एक से अधिक चीजों-वस्तुओं का जोड़ वास्तु कहलाता है हम पत्थर को वस्तु कहते है, लोहे को वस्तु कहते है, मिट्टी को वस्तु कहते है किन्तु जब कोई वास्तुकार उन सब को अपने हुनर के साथ किसी विशेष रुप में बदल देता है तो वही एक मकान, मंन्दिर, घर या राजा का महल अथवा किला बन जाता है इसे ही वास्तु कहते है लेकिन कोई भी वास्तुकार अकेला ही किसी विशेष राजा-महाराजा की सहायता के बगैर वस्तु को वास्तु में बदलने में असमर्थ रहता है
वास्तु का जो हमें इतिहास मिलता है उसके अनुसार विश्वकर्मा ही ऐसा सुत्रधार वास्तुकार हुआ जिसने सबसे पहले ऐसा करने की चेष्टा की और विश्वकर्मा को भी वास्तु निर्माण में एक राजा की जरूरत पड़ीं जिसके द्धारा उसके निर्माण के लिए आथिर्क सहायता मिलती रहे
वास्तु शास्त्र पद्धति में बहुत से सिद्धांत दिये गये है,किन्तु हर सिद्धांत के हेतु के बारे में कोई विशेष जिक्र नहीं आता यदि कोई व्यक्ति वास्तुशास्त्र में पूर्ण विश्वास रखता हो तो यह केवल उसका विचार हो सकता है किन्तु वह इसके हेतु के बारे में पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो सकता
वास्तुशास्त्र में इस बात पर बहुत जोर दिया गया है कि भू-खण्ड के चयन से लेकर वास्तुशास्त्र का शुभ फल प्राप्त करने के लिए एक व्यक्ति के लिए जरूरी है वह इसके सिद्धांतों के अनुसार नया मकान बनाना संभव नहीं है आज के युग में शहरों में हम अपनी मरजी के अनुसार विशेष प्रकार के भू-खण्ड का चयन नही कर सकते बहुत से मकान सरकारी तौर पर या प्राइवेट कंपनियों द्वारा बनाये जाते है जिन्हें वह अपनी मरजी के अनुसार बनाते है और उनमें वास्तुशास्त्र को पूरी तरह लागू नही किया जाता
अनेक पाठकों को यह अजीब लगेगा कि वास्तुशास्त्र के साथ ही कुछ नियम क्यों दिये गये है मेरे विचार में वास्तुशास्त्र के सभी सिद्धांतों का प्रयोग करना हर व्यक्ति के वंश की बात नहीं है
बहुत अच्छी जानकारी धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट है.
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
Bahut hee rochak aur upayogee jaanakaaree.hardik badhai sveekar karen.
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक - आभार
जवाब देंहटाएंnice
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